Kaka Kalelkar Ka Jeevan Parichay


(जीवनकाल सन् 1885 ई० से 1981 ई०)

जीवन परिचय- काका कालेलकर का जन्म सन् 1885 ई० में महाराष्ट्र के सतारा जनपद में हुआ था। मातृभाषा मराठी के अतिरिक्त हिन्दी, गुजराती, बाॅंग्ला, अंग्रेजी आदि भाषाओं पर इनका अच्छा अधिकार था। दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा के सन् 1938 ई० के अधिवेशन में भाषण देते हुए इन्होंने कहा था- "हमारा राष्ट्रभाषा प्रचार एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है।" हिन्दी के अलावा गुजराती में भी इन्होंने स्तुत्य कार्य किया। इन्हें महात्मा गाॅंधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर और राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन के निकट-संपर्क में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आप दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। सन् 1969 ई० में आपको पद्मविभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया। 21 अगस्त, सन् 1981 ई० को इनका स्वर्गवास हो गया।

काका साहब उच्च कोटि के विचारक तथा विद्वान् थे। भाषा के प्रचारक होने के साथ-साथ इन्होंने हिन्दी और गुजराती में मौलिक रचनाऍं भी लिखीं, जो मौलिक होने के साथ-साथ नित्य नवीन दृष्टिकोण प्रदान करती हैं। इनका साहित्य, निबन्ध, संस्मरण, जीवनी, यात्रावृत्त के रूप में उपलब्ध होता है। भारतीय संस्कृति के गंभीर अध्येता होने के कारण प्राचीन भारत की झलक इनकी रचनाओं में प्रायः मिलती है। अहिन्दीभाषी क्षेत्र के लेखकों में काका साहब मॅंजे हुए लेखक थे। किसी भी सुन्दर दृश्य का वर्णन अथवा जटिल समस्या का सुगम विश्लेषण करना इनके लिए आनन्द का विषय था।

रचनाऍं-

मराठीभाषी काका साहब की रचनाऍं निम्नलिखित हैं-

  1. निबन्ध-संग्रह- 'जीवन-काव्य', 'जीवन-साहित्य', 'सर्वोदय'।
  2. यात्रावृत्त- 'हिमालय-प्रवास', 'लोकमत', 'यात्रा', 'उस पार के पड़ोसी'।
  3. संस्मरण- 'बापू की झाॅंकियाॅं'।
  4. आत्मचरित- 'सर्वोदय', 'जीवनलीला'।

आपकी भाषा सरल, सुबोध, व्यावहारिक, सजीव और प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली है। 

आपकी रचनाओं में विषय और भाव के अनुरूप आत्मकथात्मक, विवरणात्मक, विचारात्मक, विवेचनात्मक एवं चित्रात्मक आदि शैलियों के दर्शन होते हैं।

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