Dr Ramkumar Verma Ka Jeevan Parichay
जीवन परिचय- हिन्दी साहित्य में एकांकी के जन्मदाता डॉ० रामकुमार वर्मा का जन्म मध्य प्रदेश के सागर जनपद में 15 सितम्बर, सन् 1905 ई० को हुआ था। आपके पिता का नाम श्री लक्ष्मीप्रसाद वर्मा था, जो मध्य प्रदेश में डिप्टी कलक्टर थे। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा नरसिंहपुर और जबलपुर आदि स्थानों पर हुयी। आपने हिन्दी में एम० ए० की परीक्षा सन् 1921 ई० में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर उत्तीर्ण की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने आपको प्रतिभाशाली छात्र के रूप में गोल्ड मेडिल प्रदान किया। आपने नागपुर विश्वविद्यालय से 'हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास' विषय पर शोध करके पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त की। अनेक वर्षों तक आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष पद को सुशोभित किया। भारत सरकार ने आपको सन् 1963 ई० में पद्मभूषण की उपाधि से तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने साहित्य-वाचस्पति की उपाधि से अलंकृत किया। हिन्दी प्राध्यापक के रूप में आप तत्कालीन सोवियत संघ तथा श्रीलंका भी गये। मध्य प्रदेश सरकार ने आपकी रचनाओं पर 'देव पुरस्कार' तथा 'कालिदास पुरस्कार' से सम्मानित किया। 5 अक्टूबर, सन् 1990 ई० में इनका स्वर्गवास हो गया।
रचनाऍं
- प्रबन्ध काव्य- 'उत्तरायण', 'एकलव्य', 'कुल-ललना', 'निधि', 'रूपराशि'।
- अन्य काव्य- 'वीर हम्मीद', 'चित्तौड़ की चिता', 'अंजलि', 'चित्ररेखा', 'आकाशगंगा', 'चन्द्रकिरण', 'एकलव्य', 'उत्तरायण' आदि।
- पुरस्कृत कृतियाॅं- 'चन्द्रकिरण', 'चित्ररेखा', 'एकलव्य', 'आकाशगंगा', उत्तरायण।
- नाट्य कृतियाॅं- 'ऋतुराज', 'सप्त किरण', 'रिमझिम', 'विजय पर्व', 'मयूरपंख', 'जूही के फूल', 'अशोक का शोक', और पृथ्वी का स्वर्ग।
- एकांकी-संग्रह- 'रेशमी टाई', 'विभूति', 'रूपरंग', 'चारूमित्रा', 'दीपदान', 'रजत रश्मि', 'कौमुदी महोत्सव', 'चार ऐतिहासिक एकांकी', 'पाञ्चजन्य', 'बापू', 'इन्द्रधनुष' आदि।
भाषा-शैली
डॉ० रामकुमार की रचनाओं की भाषा सरल, सरस तथा मधुरता लिए हुए है। आपकी संवाद-शैली अत्यन्त सरस, सजीव और सुगठित है। एकांकियों की भाषा पात्रानुकूल है, जो एकांकी और नाटकों को अत्यन्त आकर्षक, मनमोहक और सौम्य रूप प्रदान करती है।
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