Upendranath Ashk Ka Jeevan Parichay
(जीवनकाल सन् 1910 ई० से 1996 ई०)
जीवन परिचय- उपेन्द्रनाथ 'अश्क' का जन्म 14 दिसम्बर, सन् 1910 ई० को पंजाब के जालन्धर नामक नगर में हुआ था। 'अश्क' जी जाति से ब्राह्मण थे और आपका परिवार मध्यमवर्गीय था। 'अश्क' जी का प्रारम्भिक जीवन गम्भीर समस्याओं से ग्रस्त रहा। आप गम्भीर रूप से अस्वस्थ रहे और राजयक्ष्मा जैसे रोग से संघर्ष किया। विधि परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् आप अध्यापन, पत्रकारिता, रेडियो तथा फिल्मों के क्षेत्र में प्रविष्ट हुए। सन् 1965 ई० में 'अश्क' जी को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। 19 जनवरी, सन् 1996 ई० को इनका स्वर्गवास हो गया।
'अश्क' जी की लेखन-शक्ति प्रौढ़ और भाव-जगत् व्यापक है। इन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, एकांकी, कविता, निबन्ध, संस्मरण आदि सभी क्षेत्रों में विपुल साहित्य का निर्माण किया है, किन्तु इनकी विशेष उपलब्धि नाटक, एकांकी, उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में है। इनके लगभग 11 नाटक और 40 एकांकी प्रकाशित हो चुके हैं।
रचनाऍं
- नाटक- 'जय-पराजय', 'लौटता हुआ दिन', 'अलग-अलग रास्ते', 'स्वर्ग की झलक', 'भॅंवर', 'बड़े खिलाड़ी', 'आदि मार्ग', 'पैंतरे', 'छठा बेटा', 'अन्धी गली' आदि।
- उपन्यास- 'गिरती दीवारें', 'शहर में घूमता आइना', 'गर्म राख', 'नीता मुझे माफ कर दो', 'चन्द्रा' आदि।
- एकांकी- 'पर्दा उठाओ, पर्दा गिराओ', 'चरवाहे', 'चिलमन', 'तौलिये', 'मसकेबाजी का स्वर्ग', 'सूखी डाली', 'अधिकार का रक्षक', 'किसकी बात', 'चुम्बक', 'दो कैप्टन', 'तूफान से पहले', 'पापी', 'नानक इस संसार में', 'लक्ष्मी का स्वागत' आदि।
भाषा-शैली
'अश्क' जी ने एकांकी में बोलचाल की सहज भाषा का प्रयोग किया है, जिससे पात्रों में प्रवाह तथा अनुकूलता है। संवाद की भाषा आडम्बररहित, चुस्त और सहज है। भाषा सरल, प्रभावी, चरित्रांकन में स्वाभाविक है। संवाद चुस्त तथा व्यंजक हैं। सामाजिक और व्यक्तिगत दुर्बलताओं पर प्रहार करने वाले व्यंग्य और प्रहसन इनकी शैली की भव्यता को दर्शाते हैं। चरित्र-चित्रण मनोवैज्ञानिक है। इनकी भाषा-शैली चिर-परिचित समस्याओं और घटनाओं पर आधारित है। इनकी शैली में विविधिता के दर्शन होते हैं। एकांकियों में इन्होंने मुख्यत: व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग किया है।
Comments
Post a Comment