Vishnu Prabhakar Ka Jivan Parichay

(जीवनकाल सन् 1912 ई॰ से सन् 2009 ई॰)

जीवन परिचय- विष्णु प्रभाकर का जन्म 21 जून, सन् 1912 ई॰ को उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर जनपद के मीरापुर नामक ग्राम (अब नगरी अर्थात् क़स्बा) में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाॅंव में ही हुई थी। पारिवारिक कारणों से इन्हें हिसार (हरियाणा) जाना पड़ा। वहीं से आपने हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त की। आपने पंजाब विश्वविद्यालय से बी॰ ए॰ कर हिन्दी प्रभाकर की शिक्षा उत्तीर्ण की। इस परीक्षा के कारण आप प्रभाकर हो गये। उच्च शिक्षा के बाद आपने हिसार में सरकारी सेवाऍं प्रारम्भ कीं और साथ-ही-साथ लेखन में संलग्न रहे। प्रारम्भ में आपने कहानियाॅं लिखीं। आप दिल्ली में भी विभिन्न संस्थाओं के महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे। हिसार में आपका नाटक कम्पनियों से सम्पर्क हुआ, जिनमें आपने अभिनय भी किया। सन् 1938 ई॰ में आपका एकांकी भी प्रकाशित हुआ। आप दिल्ली आकाशवाणी केन्द्र पर ड्रामा प्रोड्यूसर और 'बाल भारती' के सम्पादक भी रह चुके हैं। एकांकी विशेषांक पढ़कर आपने मित्रों द्वारा प्रेरणा पाकर सन् 1939 ई॰ में 'हत्या के बाद' एकांकी भी लिखा। 11 अप्रैल, सन् 2009 ई॰ को इनका स्वर्गवास हो गया।

रचनाऍं

'आवारा मसीहा' (जीवनी), 'नव प्रभात', 'कुहासा और किरण' (नाटक), 'प्रकाश और परछाइयाॅं', 'डॉक्टर', 'इंसान और अन्य एकांकी', 'बारह एकांकी', 'दस बजे रात', 'माॅं का बेटा', 'ये दायरे', 'हमारा स्वाधीनता संग्राम', 'अशोक', 'ये रेखाऍं', 'ऊॅंचा पर्वत, गहरा सागर', 'तीसरा आदमी', 'मेरे श्रेष्ठ रंग एकांकी', 'नये एकांकी' तथा 'डरे हुए' (एकांकी-संग्रह)।

भाषा-शैली

विष्णु प्रभाकर जी ने कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज आदि अनेक विधाओं में रचनाऍं की हैं। कथानकों की गतिशीलता घटनाप्रधान है। भाषा संयमित और प्रभावपूर्ण है। संवाद-योजना में न तो भावुकता का आधिक्य है, न अति कड़वाहट दिखायी देती है। पात्रों के द्वारा प्रस्तुत संवाद मनोवैज्ञानिक हैं, जिनके द्वारा जीवन का सीमित रूप उभरा है। विषय की दृष्टि से एकांकी में सामाजिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीयता की झलक प्रतीत होती है। वस्तु-चित्रण में आधुनिकता को प्रधानता मिली है। आपकी प्रेमचन्द जी की शैली के प्रति आस्था भरपूर दिखायी देती है।

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