Harivansh Rai Bachchan Ka Jivan Parichay

 (जीवनकाल सन् 1907 ई० से 2003 ई०)

जीवन परिचय- डॉ० हरिवंशराय 'बच्चन' का जन्म प्रयाग में सन् 1907 ई० में हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा उर्दू भाषा के माध्यम से हुई थी। आपने सन् 1924 ई० में कायस्थ पाठशाला इलाहाबाद से हाई स्कूल, सन् 1927 ई० में गवर्नमेंट इण्टर कॉलेज से इण्टर तथा सन् 1929 ई० में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी० ए० की परीक्षाऍं उत्तीर्ण कीं। असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण आपने विश्वविद्यालय छोड़ दिया। बाद में सन् 1938 ई० में इसी विश्वविद्यालय से आपने ॲंग्रेजी में एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1954 ई० में आपने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त की। आरम्भ में आपने प्रयाग विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। कुछ समय तक आपने आकाशवाणी में काम किया, तत्पश्चात् आपकी नियुक्ति भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के रूप में हुई और वहीं से आपने अवकाश ग्रहण कर लिया। आप सन् 1965 ई० में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए। 18 जनवरी, 2003 ई० को इनका स्वर्गवास हो गया।

रचनाऍं

'बच्चन' जी की निम्नलिखित प्रमुख रचनाओं से उनका साहित्यिक अवदान प्रकट होता है-

'मधुशाला', 'मधुबाला', 'मधुकलश', 'निशानिमन्त्रण', 'प्रणय-पत्रिका', 'एकान्त संगीत', 'मिलन-यामिनी', 'सतरंगिणी', 'दो चट्टानें' आदि। 'दो चट्टानें' काव्य-ग्रन्थ के लिए आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है।

भाषा-शैली

'बच्चन' जी की भाषा साहित्यिक होते हुए भी बोलचाल की भाषा के अधिक निकट है। आपकी भाषा सरल व सरस है। आपने लोकगीतों और मुक्त छन्दों की रचना की है। अपनी गेयता, सरलता, सरसता और खुलेपन के कारण आपके गीत बहुत पसन्द किए जाते हैं। आपकी शैली गीतात्मक है।

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